इससे और अधिक क्या हैं ?
इससे और अधिक क्या हैं ?


जगत में अब कुछ भी छुपाने को क्या हैं
जगत में अब कुछ भी दिखाने को क्या हैं
मैं आया और महफ़िल पूरी हो गई
मुझसे अधिक और जलसा में सजाने को क्या हैं ?
गूंज रहा दुराचारिता का सुर हर दिशा में
पल रहा आत्मज के सपने हर पिता में
यहां झूठे वादों का वादा दिया जाता है
इससे और अधिक बताने को क्या है ?
तेरी यादों की कश्ती में शैलजा डूब जाता है
तेरा साथ न होकर भी,होने का भ्रम उग आता है
मेरे अश्क के सिंधु में बह गया मेरा नज़्म सारा
इससे और अधिक इस प्लावन में बहाने को क्या हैं ?
मीलों दूर सफ़र तय कर मंज़िल तक आया
हजारों मंदिर-मसजिद में, इबादत कर तुझे पाया
जिसे खोने से डरता था मैं, उसे खो दिया
इससे और अधिक मन में घबराने को क्या हैं ?
प्यार के धागों में पिरोया, टूट गए वो सपने सारे
मन टूटा, तन टूटा, टूट गए जब घर हमारे
हालात बदतर से बदतर थे, फिर भी संबंध बनाए रखा
इससे और अधिक रिश्ते में बचाने को क्या हैं ?