जल्लाद
जल्लाद
मैं अपने हाथो से
एक मजबूत रस्सा बुन रहा हूं
और इतना लंबा बाट रहा हूं , जो
आर्यावर्त के कोने–कोने तक पहुंच सके ।
मैं अपना ताकत को पिघलाकर
एक हथोड़े का रूप दे रहा हूं
जिसका एक प्रहार में
आत्मा और शरीर को अलग कर देगी ।
यहां की दया को इकठ्ठा कर
सरिये में ढाल दिया
और बन गया फांसी का तख्ता ।
अब गर्दनें दो
उन जल्लादों की
जो बेकसूर लोगों को
अस्थि में बदल देता है।
