STORYMIRROR

Sonali Tripathi

Tragedy Crime

4  

Sonali Tripathi

Tragedy Crime

आखिर क्यों ?

आखिर क्यों ?

1 min
325

मां की परी, पापा की दुलारी,

छोटे से महल की थी वो राजकुमारी,

उसकी खिलखिलाहट से गूंज उठता था वो घर, 

उसकी हर चाहत को पूरा करता था वो घर।


मां-बाप ने उसे भोली नहीं, सशक्त बनाया था,

परिस्थितियों से डरना नहीं लड़ना सिखाया था,

उन्होंने उसे दुुर्गा व काली बनाया था,

उसने कई मनचलों को सबक भी सिखाया था।


तो आखिर क्यों ?....आज वह मौन थी,

उस अनजान से घर में आखिर वह कौन थी ?

कभी ना सहने वाली, खुद पर हर अत्याचार सहती थी,

पिता के हृदय का टुकड़ा, यहां पैसों पर तोली गई थी,


लफ़्ज़ों की जरूरत क्या ? उसे अपनी पीड़ा बताने को,

शरीर के जख्म बयां करते थे उसकी कहानी को,

बाबुल का घर छोड़ इस घर को अपनाया था,

सास-ससुर भी मां-बाप , ऐसा खुद को समझाया था।


पति को खुदा बना, इबादत में लगी रही,

जिसको जिंदगी माना, उसी के हाथों छली गई,

हैवान वहां सब बैठे थे, रुपयों से उसको जोड़ा था,

अग्नि को साक्षी माना, उसकी लपटों ने निगला था,

दहेज लोभी संसार में, दहेज की भेंट चढ़ी थी,

न्याय यहां मिलेगा नहीं, सो ईश्वर के दरबार गई थी।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy