भारत को श्रेष्ठ बनाएंगे
भारत को श्रेष्ठ बनाएंगे
चलो जलाएं एक दीया,
नफ़रत की तिमिर मिटाने को,
प्रेम के पुष्प खिलाने को,
हर झगड़ों को सुलझाने को,
आज वक्त कुछ ऐसा है,
चहुं ओर सांग का जाल है,
लालच के झंझावातों में,
उड़ रहा वो इंसान है,
रक्तों के झंझांओ में घिरा,
सिमटा वो नादान है,
भ्रष्टाचार की ज्वालाओं में,
जलता वो अज्ञान है,
चलो बुझाने इस ज्वाला को,
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शम्वर के विशिख चलाएंगे,
सब मिलकर आगे आएंगे,
खुुुुशियों की तरंगिणी बहाएंगे,
निराशा भरें नैैैंनों को हम,
आशा की रोशनी दिखाएंगें,
अपने हक के लिए सभी को,
जगना हम सिखाएंगे,
ग़रीबी, अत्याचार को मिटा,
खुुशियों के नलिन खिलाएंगे,
सब मिलकर क़दम बढ़ाएंगे,
भारत को श्रेष्ठ बनाएंगे ।