इजाजत
इजाजत
अब मिट जाते हैं यह लफ्ज़, तो इन्हें मिट जाने दो
इस लिखावट को स्याही में ही, कुछ देर सिमट जाने दो
यह पहचान मुखौटा लगती हैं, इसे उतर जाने दो
अंजान सा है यह शहर, मुझे पुराने घर जाने दो
बहुत हो चूका उलझनों संग उलझना, अब इन्हें सुलझ जाने दो
दिल को बहलाओ नहीं सब ठीक है कह के, इसे सच्चाई समझ जाने दो
यह बुझने को आई मशालें, इन्हें फिर से भड़क जाने दो
तूफान इंतजार में रुका है, अब बिजली कड़क जाने दो।
