एक तरंग से एक आँधी तक
एक तरंग से एक आँधी तक
मन के गहरे अंधीयारो में
ख़्वाबों के जुगानुओं का गाँव हैं
वक़्त की लहरों पे लुढ़कती हुई
ज़िन्दगी की मनचली नाव हैं
लहरों से जीतना जश्न हैं लेकिन
उसे हर हार से मोहब्बत हैं
फतह रहमत हैं लेकिन
शिकस्त नसीहत हैं नेमत हैं
भँवर की खबर ना फिकर
गहराई में डूबना तो दस्तूर हैं
लहरों के संग बेकाबू होकर
किनारे को लाँघना भी मंजूर हैं
इस किनारे से उस किनारे
एक खाई से एक बुलंदी तक
हर सफर की मझधार को नापति
एक तरंग से एक आँधी तक।
