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कीर्ति त्यागी

Inspirational

5.0  

कीर्ति त्यागी

Inspirational

हां मैं वहीं हिन्दुस्तान हूं,,

हां मैं वहीं हिन्दुस्तान हूं,,

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हां मैं वहीं हिन्दुस्तान हूं,, मैं हर एक फौजी की जान हूं,

सत्य और सत्व विद्धमान है मुझमें ,,मैं सबकी जान हूं,,


याद करो मेरी कुर्बानियों को ,, तब तुमने आज़ादी पाई है,

पर ए मेरे नौजवानों क्या तुम्हें,,इसकी कीमत समझ आई है,,


लिखी पड़ी है इतिहास के पन्नों पर कितनी ही डायरिया ,

पर तुम क्या जानो तुम्हें तो लगे ,,ये दिखावटी शायरियां,,


क्या मैं वहीं हूं ,, जहां इंकलाब जिंदाबाद के नारे देश भक्त लगाते थे ,

पर आज देखो ,, अपने स्वार्थ की खातिर मुझी को दाव पर लगाते हो ,,


मैं वहीं हिन्दुस्तान हूं जहां बहनों और माताओं की खातिर चल जाती थीं गोलियां,

पर देखो तो बदलाव ,, आज वही नौची जा रही उनकी बोटियां,,


आज भी मैं वहीं हिन्दुस्तान हूं जहां मां बाप को कंधों पर बिठाया जाता था,

पर देखो अपने स्वार्थ की खातिर आज कर्ज में उनको डुबोया जा रहा,,


क्या मैं सच में इतना कमजोर हूं ,,जो छल मुझी से करते हों,

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अपने स्वार्थ की खातिर मुझी को मदहोशी में खोते हो,,


कर्ज कर रहे मां बाप पर,, ताकि तुम्हें सम्मान मिले,

पर ए मेरे नौजवानों,, तुम तो अपनी राह से ही भटक रहे,,


कैसी ये आज़ादी है ,, जो तन को ढक नहीं पातीं है,

क्या सच में यही वो तस्वीर है जो नवभारत की दिखलाई जाती है,,


नित नई दिशा मैं तुम्हें दिखलाता हूं, उमंग भी भर जाता हूं,

फिर नशें में क्यों खुद खो रहें ,, और खुद के सपनों को पूरा करने के लिए रो रहें,,


सात रंगों से सजा हुआ ,,मैं तुम्हारा भारत हूं,,

अपने साथ तुम्हारे भविष्य को गतिशीलता तक ले जाता हूं,,


मेरे माथे पर ध्वज फहराता है ,,जिसे कोई झुका नहीं पाता है,

आएं कहीं से कोई भी दुश्मन,, सिर्फ एक फौजी ही टकराता है ,,


जन्म लेते हैं इस धरा पर ऐसे लाल ,,जो कुर्बानी देते हैं, 

करते हैं वो देश की रक्षा ,,भारत को सुरक्षित करते हैं ,,


हां मैं वहीं हिन्दुस्तान हूं,,



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