ग़ज़ल शीर्षक: चल तेरे इश्क में ,,
ग़ज़ल शीर्षक: चल तेरे इश्क में ,,
किट्टू की कलम से ✍️
सुनो कुछ कहूं??
चल तेरे इश्क़ में फ़ना हो जाते हैं,
इक हिज्र-ए-मोहब्बत का क़िस्सा अमर कर जाते हैं।
तसव्वुर-ए-वस्ल में फिर कोई ख़ता कर जाते हैं,
तेरे नाम पे हर साँस को असर कर जाते हैं।
तेरी यादों के साहिल पे बहकते रहते हैं,
ग़म-ए-दिल को भी अब हम हुनर कर जाते हैं।
जुस्तजू-ए-नज़र में गुमां तेरा बसता है,
हर मील का पत्थर तुझे मुसाफ़िर कर जाते हैं।
तेरी ख़ामोशी के साये में भी सुकूँ मिलता है,
हम तन्हाई को भी तेरा हमसफ़र कर जाते हैं।
फ़ासलों की साज़िशें कुछ भी ना कर पाईं,
हम दर्द की गलियों में तेरा ज़िक्र कर जाते हैं।
दास्तान-ए-दिल को कभी लफ़्ज़ों में ना बाँध सके,
तेरी यादों के साये में ही बसर कर जाते हैं।
जिस राह में भी तेरा नाम लिया हमने,
वो रास्ते भी हमें मंज़िल का सफ़र कर जाते हैं।
इश्क़ की बाज़ी में हार कर भी जीते हैं,
हम अपने टूटे हुए दिल को शजर कर जाते हैं।
' किट्टू 'तन्हाई में भी ढूँढती हैं तेरा अक्स,
हम रूह की दस्तक तुझ पर नज़र कर जाते हैं।
हां ! चल तेरे इश्क में मर जाते हैं .....
©️ कीर्ति त्यागी....✍️
12/2/2025

