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Ranjana Kashyap

Romance

5  

Ranjana Kashyap

Romance

पंख

पंख

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489

हवा में उड़ते सूखे पत्ते,

सच्चे प्रेम के कुछ किस्से गाते पंछी, 

दो प्रेम करने वालों के नाम से तराशा गया वह पत्थर,

नदी जिसे लाख कोशिशों के बाद भी डूबा लेने में असफल,

तोड़फोड़ करने वाले उन नामों को पृथक ना कर पाए!


पत्थरों पर नामों को सजाती लताएँ ,

अचानक एक सफेद पंख को हवा अपने संग उड़ा लाई!

यह भावनाओं के बवंडर में झूमता है उड़ता है,

और प्रेम के राग की ओर आगे बढ़ता है

मैंने आंखें बंद कर लीं पंख के संग उड़ती जा पहुंची हूं

प्यार और भूलों से भरी इस कहानी में!


प्रेमी अंजान थे नहीं जान सके कि उनकी खुशी मृगतृष्णा है ,

चेहरे पर मुस्कान लिए वह डूबे थे, प्रेम में 

वह बुरी नजर से खुद को बचा लेंगे जी रहे थे इस भ्रम में!!

लेकिन उनका प्रेम आशा से था रंगा ,

झूठे घमंड के लिए प्रेमियों की ली गई बलि

पीठ में छुरा घोंपने वाले उनके थे अपने ही!


मेरी बंद आंखें नम हो आई !

एक चलचित्र की नायिका की भांति मैं सब महसूस क्यों कर पाई?

क्यों यह नाम और जगह पहचाने से लगते हैं?

अचानक अपने हाथों पर उसके हाथों का स्पर्श

उसकी प्रश्नों से भरी आंखों में झांका,

ओह!यह तो वही आंखें है! 


अपने ही चेहरों और नामों से अंजान इस पत्थर पर बैठे ,

मैं सोचती रही,आशा कभी विफल नहीं होती!

उसकी आंखें प्रश्न करती रहीं, मैं मुस्कुराती रही ,

और उन आंखों के दर्पण में अपना मुख निहारती रही!!


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