पत्थर की यही है जिद, कभी यह पिघलता नहीं। पत्थर की यही है जिद, कभी यह पिघलता नहीं।
श्रम करके अपने बल पर दो वक्त की रोटी पाना चाह रहा हूं। श्रम करके अपने बल पर दो वक्त की रोटी पाना चाह रहा हूं।
एक गहरा समंदर एक गहरा समंदर
बस यूँ ही मोम सी पिघलती...जाती है..। बस यूँ ही मोम सी पिघलती...जाती है..।
जिसको ठंडक पहुंचाने के लिए, आपने हमेशा अपना एसी ऑन रखा था, उसने पहले आप पर तेज़ाब फिकवाया .... जिसको ठंडक पहुंचाने के लिए, आपने हमेशा अपना एसी ऑन रखा था, उसने पहले आप पर तेज़ाब...
हर रात की भोर निश्चित है छटकर नैराश्य खिलते है फूल दल हर रात की भोर निश्चित है छटकर नैराश्य खिलते है फूल दल