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Bhavna Thaker

Abstract

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Bhavna Thaker

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बीतेगी रात खिलेंगे फूल दल

बीतेगी रात खिलेंगे फूल दल

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समय आज अपना नहीं तो क्या हुआ 

कभी तो रुख होगा इधर भी

सारे रास्ते बंद है तो क्या हुआ 

कहीं कोई रोशन सितारा तो होगा 

घनघोर तम में टिमटिमाते 

एक जुगनू की झलक भी बहुत होगी,

बीतेगी रात खिलेंगे फूल दल हौसला तू रख.!


किस्मत का किवाड़ बंद सही

कभी तो कोई आहट होगी 

देखे हुए छोटे से सुनहरे सपनें की

पतझड़ का तो मौसम आना ही है

आस का कोई फूल अभी मुरझाया तो नहीं,

बीतेगी रात खिलेंगे फूल दल हौसला तू रख.!


रेगिस्तान में तपती रेत ही सही पर

मृगजल का भरम भी कोई कम तो नहीं 

माना की चुनौतियों का राज है पर

बूलंद हौसलो की अधरों पर प्यास तो रही,

बीतेगी रात खिलेंगे फूल दल हौसला तू रख.!

 

मिलना बिछड़ना एक रीत सही

दिल में प्यार सच्चा है तो मिलेगा 

चाहत का वरदान कभी 

डगर सूनी हो या ना हो पता मंजिल का

अड़ग मनसूबे का कोई विकल्प भी तो नहीं,

बीतेगी रात खिलेंगे फूल दल हौसला तू रख.!

 

मंदिरों में पथ्थर से कुछ मिले ना मिले

श्रध्धा की लौ दिल में जलती रहे इतना काफ़ी है

ईश की कृपा का कोई छोर नहीं,

मन्नत के धागों पर आस पलती तो रही,

बीतेगी रात खिलेंगे फूल दल हौसला तू रख.!


हर रात की भोर निश्चित है 

छटकर नैराश्य खिलते है फूल दल

दिल में हौसलों की परवाज़ ओर 

उड़ने को आसमान कम तो नहीं।


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