Bhavna Thaker
Classics
कायनात की किसी शै में अमृत नहीं मिलेगा !
वो बैठा है प्रेमियों के अधरों पर लहलहाता।
पूछो पहले चुम्बन की मोहर लगी
माशूका से मिठाश का मर्म,
शर्माते लबों पर उसका जीभ का रगड़ना
अमृत के उद्भव की सुनहरी गाथा कहेगा।
शून्य थी मैं
सुकून से रह
नहींईईईई
रात की सौगात ...
अमृत की गाथा
मोहताज क्यूँ ...
एहसास को स्पर...
मोहिनी के मान...
कहाँ कुछ ज़्य...
मज़ा मिलना चा...
उसकी खामोशी में छुपी चीख को किसी ने ना सुना। उसकी खामोशी में छुपी चीख को किसी ने ना सुना।
कोई बतायें मुझे कोई समझाये मुझे बहुत ना इंसाफ़ी है बहुते ही ना इंसाफ़ी है। कोई बतायें मुझे कोई समझाये मुझे बहुत ना इंसाफ़ी है बहुते ही ना इंसाफ...
न रूकेगी न झुकेगी न ही कभी थमेगी। न रूकेगी न झुकेगी न ही कभी थमेगी।
मैं तो था दीवाना रव का, रव रूठ गया मुझे होश नहीं। मैं तो था दीवाना रव का, रव रूठ गया मुझे होश नहीं।
ए चाँद कितने खामोश खड़े हो तुम..... ए चाँद कितने खामोश खड़े हो तुम.....
मेरी रेहनुमाइ बनकर जन्नत का नशा देती मेरी ज़िन्दगी में। मेरी रेहनुमाइ बनकर जन्नत का नशा देती मेरी ज़िन्दगी में।
वह फ़िजा जो इस जज्बे की ख्वाबगाह बनी थी ख्वाब टूटते भी देखा है बारहा ! वह फ़िजा जो इस जज्बे की ख्वाबगाह बनी थी ख्वाब टूटते भी देखा है बारहा !
मेरे दिल का हर राज़ लेते हुए नील स्याह बन गिरते। मेरे दिल का हर राज़ लेते हुए नील स्याह बन गिरते।
परंतु जो आंखें दिखाती हैं वह कैमरा कहां उतार पाती है। परंतु जो आंखें दिखाती हैं वह कैमरा कहां उतार पाती है।
कुछ किताबों के वेंटीलेटर पर पड़ी भाषा की सांस टूटने लगे। कुछ किताबों के वेंटीलेटर पर पड़ी भाषा की सांस टूटने लगे।
साजिश और जिद के तालमेल से फासलों की दरार बडी़ होती जाती है। साजिश और जिद के तालमेल से फासलों की दरार बडी़ होती जाती है।
अब दया कर, कर दूर सब दूरियाँ, और दूर करो, ये धटाटोप अंधेरा। अब दया कर, कर दूर सब दूरियाँ, और दूर करो, ये धटाटोप अंधेरा।
लगते है सब अपने मगर राह पर हम अकेले हैं। लगते है सब अपने मगर राह पर हम अकेले हैं।
रिश्तों को मत छोड़ो, ख़्वाहिशों का अंत नहीं इसके हैं रंग हज़ार। रिश्तों को मत छोड़ो, ख़्वाहिशों का अंत नहीं इसके हैं रंग हज़ार।
जहाँ ना आशा ना निराशा बंधन मुक्त, शब्दों से परे असीम अनुराग है ! जहाँ ना आशा ना निराशा बंधन मुक्त, शब्दों से परे असीम अनुराग है !
कि तुम्हें किसीसे कभी ना कहना पड़े, "तुम्हारी कमी खलती है।" कि तुम्हें किसीसे कभी ना कहना पड़े, "तुम्हारी कमी खलती है।"
जो बोलते हैं स्पेस से आकर भी सबसे प्यारा देश हमारा। जो बोलते हैं स्पेस से आकर भी सबसे प्यारा देश हमारा।
माँ इक बार फिर से सीख सीखा दो जीवन की मिथ्या में चलना बतला दो। माँ इक बार फिर से सीख सीखा दो जीवन की मिथ्या में चलना बतला दो।
उन्नति की बहार छाई है। लो रिमझिम बरखा आई है।। उन्नति की बहार छाई है। लो रिमझिम बरखा आई है।।
कल को कल से मिलाती सूत्रधार है कविता। जगजीवन का अनुपम सार है कविता।। कल को कल से मिलाती सूत्रधार है कविता। जगजीवन का अनुपम सार है कविता।।