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Kamal Patidar

Classics

3  

Kamal Patidar

Classics

कहां खो गए वो बचपन के दिन ?

कहां खो गए वो बचपन के दिन ?

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वो सुबह उठना ओर मां से रूठना,

चाय ना मिलने पे चीखना चिल्लाना।


वो स्कूल ना जाने के बहाने,

कभी पेट तो कभी सिर दुखाने

फिर टीचरकी मार उतार देती सारे बुखार,

कहा खो गए वो बचपन के दिन ?


याद आते है अब वो दिन

वो बचपन का इतवार,

गिल्ली डंडा ओर अपनो का प्यार

वो नहाने में नाटक और फिर मां के झापट।


वो होमवर्क ना करना

और टीचर को देख यूँ छुपना

वो शक्तिमान की तरह घूमना,

ओर वो सोनपरी जैसा उड़ना।


कहाँ खो गए वो बचपन के दिन ?

याद आते हैं अब वो दिन।

याद आते है अब वो दिन

ना कुछ पाने की आशा ना कुछ खोने की।


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