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Dr. Akansha Rupa chachra

Classics

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Dr. Akansha Rupa chachra

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भक्ति की महिमा

भक्ति की महिमा

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स्वास्थ्य रहे तन, मन से

पाप को करे दूर

हरि के नाम को जपने से

होवे अवगुण दूर।।


भक्तों की दृष्टि में भगवान् में

प्रगाढ़ आत्मीयता ही भक्ति है।

भगवान् में ऐसा प्रबल अपनापन हो

जिससे चित्तवृत्ति निरंतर अविछिन्न रूप से

भगवान् की ओर ही बहती रहे।


इसमें भक्ति की अन्य सभी बातें

अपने आप ही आ जाती हैं।

भगवन्नाम जप में तीन बातें होनी चाहिए -----

जप निरंतर हो ____


भगवान के ध्यान से युक्त हो____

तथा गुप्त हो____

घर परिवार के लोगों, मित्रों तक को भी

पता नहीं लगने देना चाहिए कि

यह भी कोई साधन करता है।


नाम जप जितना अधिक गुप्त रहेगा,

उसका प्रभाव उतना ही अधिक बढ़ेगा।

नाम जप प्रकट कर देने से

इसका प्रभाव कम हो जाता है।


आपसे हो सके तो एक उपाय बहुत उत्तम है-

प्रतीज्ञा कर लीजिए प्रतिक्षण लगातार

नाम जप करने की।

नाम- जप का तार यदि जाग्रत्

अवस्था में कभी नहीं टूटेगा तो

निश्चय ही सब पाप मर जाएंगे।

यह महात्माओं का अनुभूति सरल प्रयोग है।


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