उदासी क्यों
उदासी क्यों
उदासी क्यों?
मन में अनचाही सी खामोशी उतर आती है,
ख़ुशी के दीपकों के बीच एक परछाई रह जाती है।
हँसी के कोलाहल में भी दिल उदास क्यों है,
भीड़ में रहकर भी मन को अकेलापन क्यूँ है?
शायद अधूरी इच्छाओं की परछाई है यह,
या टूटी उम्मीदों की गहराई है यह।
कभी यादों के सागर में डूबो देती है,
तो कभी भविष्य के भय से मन को भर देती है।
पर क्या उदासी सच में शत्रु है हमारी?
या भीतर झाँकने का कोई संकेत प्यारी?
हर वेदना हमें नया साहस सिखा जाती है,
हर आँसू दिल को और मज़बूत बना जाती है।
उदासी का उत्तर सिर्फ़ एक मुस्कान नहीं,
यह आत्मा को समझने का द्वार भी सही।
जब कारण खोजो, तो राह भी मिल जाएगी,
उदासी बिछुड़े सुख की याद बन जाएगी।
कवियत्री -आंकाक्षा रुपा चचरा
