दिव्य प्रकाश का हो स्फुरण बने जो जीवन सम्बल अक्षुण्ण। दिव्य प्रकाश का हो स्फुरण बने जो जीवन सम्बल अक्षुण्ण।
एक चरण आकाश में लगा। एक चरण से फिर पृथ्वी को नापा। एक चरण आकाश में लगा। एक चरण से फिर पृथ्वी को नापा।
माँ के बारे में एक कविता...। माँ के बारे में एक कविता...।
जागरूक जनता ही बदले खुद अपनी किस्मत... जागरूक जनता ही बदले खुद अपनी किस्मत...
एक दहाड़ सच की लगाई है जंगल पूरा घबरा गया है... एक दहाड़ सच की लगाई है जंगल पूरा घबरा गया है...
लोग चले जाते हैं रह जाते हैं पन्ने... लोग चले जाते हैं रह जाते हैं पन्ने...