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Dhruwa Shankar Prasad

Classics

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Dhruwa Shankar Prasad

Classics

हमारी माँ

हमारी माँ

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बीमार हम पड़ते हैं

चैन आपका खो जाता है,

चोट हम खाते हैं

अनुभव आपको हो जाता है,

जो हम कह नहीं पाते

दिल आपका समझ जाता है,


शरारतों पे हमारी

पहले हमें समझाया जाता है,

जब बाज़ नहीं आते

धुलाई हमारी कर दी जाती है,

पर ये क्या !

धुलाई के बाद आप अक्सर रो पड़ती हैं,

ये समझ नहीं आता

आपको क्या हो जाता है ?


पर इतना समझ ज़रूर आता है

हमारे बिना आप

और आपके बिना हम रह नहीं सकते

क्योंकि ममता और त्याग की मूरत हैं आप

हमारे जीवन की बहुत बड़ी ज़रूरत हैं आप !


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