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एहसास

एहसास

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पास तुम न सही

तुम्हारा एहसास है,


शीतल धूप में,

तपती बारिश में,

फूलों की सुगंध में,

हवाओं की छुवन में,


बिस्तर की सिलवटों में,

कदमों की आहटों में,

ईश की भक्ति में,

गीत की मस्ती में,


दोस्तों की डाँट में,

डॉक्टर की सलाह में,

बिखरे लम्हों में,

सिमटे दिनों में,


मालूम है मुझे भी,

मालूम है तुम्हें भी,

विवशता है इधर भी,

विवशता है उधर भी,


दिल में फिर भी

मायके से तुम्हारी वापसी का इंतज़ार पलता है,

क्योंकि घर जीवन साथी के बिना

केवल एक मकान होने का एहसास होता है !


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