तुम्हारी पागल
तुम्हारी पागल
तुम कहो तो तुम्हारे नाम एक गज़ल लिख दें
बरस जाओगे क्या बेवजह तुम्हे बादल लिख दें
नजर ना लगे तुम्हारी खूबसूरती को किसकी
इजाज़त दो अगर तुम्हे अपना काजल लिख दें
तुम्हे लिखे महोब्बत, अमानत , इबादत हमारी
खुद को हम जरा सी तुम्हारी घायल लिख दें
तुम अक्सर जोरो से खनकते हो इस दिल मैं
जनकार श्रृंगार का तुम्हे अपनी पायल लिख दें
तुम बस हा कह दो ये जमाने को दिखाने की
श्वेत की जगह नीचे तुम्हारी पागल लिख दें।