खामियाँ
खामियाँ
बेशक खामियाँ बहुत हो मुझमे,
पर प्यार तो तुम से करती हूँ।
तुम होगे सही हमेशा पर,
मैं भी कभी सही हो सकती हूँ।
तुम कोहिनूर का हीरा हो तो,
मैं भी सच्चे मोती सी चमकती हूँ।
तुम एकलौते वारिस हो घर के,
तो मैं तुम्हारा वंश जन सकती हूँ।
तुम अगर हो रूप नारायण,
तो मैं भी वन में रह सकती हूँ।
तुम हाथ तो बढाओ वादे का,
मैं पूरा करने की दम रखती हूँ।
तुम हो सुबह की किरण से खिले खिले,
तो मैं सांझ सुहानी सी बहती हूँ।
पूरनमासी का चाँद हो गर तुम,
तो मैं रात ईद सी लगती हूँ।
शराब पीना शान है तुम्हारी,
पर तुमको घर लाकर तुम्हारे जूते मैं ही बदलती हूँ।
भले तुम्हे पसंद हो कोठे की चमकती गुड़िया,
पर मैं पायल फिर भी तुम्हारे लिए छनकाती हूँ।
फिर भी गर शौक है तुमको छोटे कपड़ों का,
तो मर्यादा मैं तुमको सिखलाती हूँ।
बेशक खामियाँ बहुत हों मुझमे,
पर प्यार तो तुम से करती हूँ।
तुम जीना चाहते हो शान से,
मैं तुम्हे उड़ने का मतलब बतलाती हूँ।
तमाम उम्र गिनते रहना तुम मेरी खामियाँ,
आखिर में क्या खोया क्या पाया ये मैं गिनवाती हूँ।
बेशक खामियाँ बहुत हो मुझमें,
पर प्यार तो तुम से करती हूँ।