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richa agarwal

Inspirational

4.0  

richa agarwal

Inspirational

बढ़ती दूरियां

बढ़ती दूरियां

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देश विदेश घूम कर जो मर गए या मर रहे हैं,

जिनके अपने ही उनसे हाथ झटक रहे हैं।

ना जाति पूछी, ना ही धर्म या लिंग ही पूछ लिया है,

जाने अनजाने छू जाने भर से चपेट में लिया है।।


अब क्यों ना थोड़ी दूरियाँ बढ़ाएं, 

दोस्तों रिश्तेदारों को कुछ दिन बाद मिलने जाएं।

हाथ जोड़ें सिर झुकाएं, कुछ दिन हाथ ना ही मिलायें,

अपनी संस्कृति को आगे बढ़ाएं स्वच्छ  

भारत अभियान चलायें।।


अस्पतालों में पड़ी भीड़ से तो अकेले रह लेते हैं,

परदेस में हुए तो क्या कुछ दिन अपने लिए

अकेले जी लेते हैं।

उन चीखती आवाज़ों से तो अपनी ज्वाला को

शांत कर लें,

बंद किवाड़ें अपनों के साथ कुछ गुफ्तगू

शैतानी कर लें।।


कुछ हफ्ते हो या महीने मिलकर अकेले संग निभा लें,

दूर रहकर पास हैं हम अपनी एकता दिखा दें।

हाँ मैं अकेला हूँ, तुम भी अकेले हो जाओ तो अच्छा,

नहीं तो दिन दूर नहीं, फसाद खुद खड़ा हम कर लेंगे।।


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