मेरा घर
मेरा घर
हाँ एक घर था मेरा पर अब छूट चुका है
घर के बगीचे की फुलवारियाँ मुरझा
कर सहम चुकी हैं
बचपन में खेले हुए उस आंगन में
अब पत्थर गढ़ रहे हैं अपना घर बदलने में
ना जाने कब पराये खुद हो चुके हैं
हाँ एक घर था मेरा पर अब छूट चुका है।
लोरियों की आवाज़ मन्द होकर खत्म हो
चुकी है
मुझे सराहने वाले हाथ उस घर में ही रह
गए हैं
सुबह नींद से जगाने वाली चाय अब ठंडी
हो चुकी है
रात को सुलाने वाली मोहक हवा भी ठहर
सी गई है
हाँ एक घर था मेरा पर अब छूट चुका है।
लॉलीपॉप से खुश हो जाने
वाली ख़ुशियाँ
अब कहाँ रही हैं
मिट्टी की गीली खुशबू भी टाइल्स ने गुम
कर दी है
घर के बाहर का खेल का मैदान चौड़ी
सड़क हो गया है, दादी नानी की सीख
भी अब कम्प्यूटर ऑनलाइन दे रहा है
हाँ एक घर था मेरा पर अब छूट चुका है।
जिनके कंधों से देखते थे दुनिया वो कंधा भी
जर्जर हो चला है
माँ के हाथ से रोटी खाये भी अब मानो जमाना
बीत गया है
भाई बहन सब रिश्ते नाते किसी जंजाल में फँस
गए हैं
मेरे पापा के घर की तुलसी का भी अब घर बदल
चुका है
हाँ एक घर था मेरा पर अब छूट चुका है।