जर्ज़र पिता
जर्ज़र पिता
उठे थे जब कदम मेरे
बढाये थे जब मैंने पाँव
नन्ही उंगली मेरी थाम के
चल दिए थे जब आप
आई एक आवाज थी
हम मुश्किलों से लड़ सकते है
हाँ आप मज़बूत हैं
आप कर सकते हैं
क्या याद है मेरा बचपना
क्या याद है मेरा गिर के सम्भलना
क्या याद है मेरी करवटें
क्या याद हैं मेरी अंगड़ाइयाँ
क्या याद है मेरी पहली चोट
पर मुझे याद है वो पहली डाँट
यही कहा था आपने
आप मजबूत हैं, आप कर सकते हैं
मैथ्स में कमजोर था
साइन्स समझ कम आती थी
कोई नहीं थे दोस्त मेरे
शिकायत हर बार मिलती थी
तब भी आपने सिखाया
ज़िंदगी का वो तजुर्बा
फिर वही कहा था आपने
आप मज़बूत हैं, आप कर सकते हैं
फिर गया जब कॉलेज मैं
दोस्त तो बहुत बने
तितर बितर कर दिया सब कुछ
परिवार का मान भी
गलत आदतें मेरी सुधारने
फिर से आप ढाल बने
उठाकर कहा आपने
आप मज़बूत हैं, आप कर सकते हैं
तो आज आप मायूस क्यों
क्यों जर्ज़र खुद को कह रहे
बूढ़ी हुई ये खाल है
कुछ सफेद हुए बाल हैं
पर हूँ मैं हौसला आपका
डटकर करूँगा सामना
आप ही ने सिखाया था
आप मजबूत हैं, आप कर सकते हैं।
