जीवन का अंत नहीं होता
जीवन का अंत नहीं होता


आंसू मोती से अनमोल , विक्षिप्त होकर न व्यर्थ बहाओ।
तिल तिल कर मत मरो रात दिन, सूर्योदय सा खिल जाओ।
एक दिन सूरज के छुप जाने से, संसार नहीं रुका करता।
कुछ सपनों के खो जाने से, जीवन का अंत नहीं होता।
जीवन की बिखरी माला के कुछ मुक्तक जो गिर जाए ।
रोज निकालो सागर से, पर मुक्तक कम तो नहीं होते।
आशा के दीप जलाए रखो, मन के पुष्प खिलाएं रखो।
विपरीत भंवर आ जाने से वेग लहरों का मंद नहीं होता।
मिट्टी को स्वर्ण बताने वाले, इस दुनिया को बहलाने वाले।
मिलते बहुत ठगी दुनिया में, सबसे माल उड़ाने वाले।।
देखो परखो और पहचानो सोच समझ लो तब ही मानो।
प्रभु नाम नित्य जप लेने से हर कोई संत नहीं होता है।
बोझा जो सर पर उठाते हैं, मेहनत ही विकल्प बनाते हैं।
सुबह शाम करके मजदूरी , बच्चों का पेट जिलाते हैं।।
पहने आधे कपड़े तन पर, आधा शिशु को पहनाते हैं।
एक थाली के छिन जाने से,जीना खाना बंद नहीं होता ।
लूट जाते उपवन निशदिन , मुरझाते नित कितने फूल
रोज पोछती ओस की बूंदे , पत्तों पर गिरती जो धूल ।
नित्य चलते रहना प्रकृति का नियम आना और जाना ।
कुछ कलियों के मर जाने से, पुष्प खिलना बंद नहीं होता।
लाखों बार झोपड़िया टूटी शिक़न नही आई चेहरे पर।
लाखों बार हुए घर ,बेघर, बाढ़ बरसातों में कितने घर।
विश्वास पे जीवन जीते हैं, एक दिन बरसाते थम जाती हैं।
जीवन से रण जो करते हैं , जीवन जीना बंद नहीं होता।