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Sarita Singh

Romance

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Sarita Singh

Romance

जज्बातों का दर्पण है प्रेम

जज्बातों का दर्पण है प्रेम

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कभी अपने ,पराए रिश्तो का विश्वास है।

कभी जीने का सहारा हृदय की श्वास है।


सर झुके जिस दर एक ऐसी मजार है प्रेम।

कृष्ण की लीला यशोदा का दुलार है प्रेम।


पुष्प रंजित शृंगारिक मकरंद पराग है ।

हृदय के झंकृत वीणा का अनुराग है।


बंधी हैं इससे स्नेह की पावन डोरी।

 प्रेम सच्चा है जैसे मां की मधुर लोरी।


परिणय सूत्र से जुड़ा प्रेमबंधन कभी ।

खुश्क नाजुक रिश्तो का गठबंधन है।


दिल प्रेम का, परिसर ,सुरभित उपवन है।

प्रेम की पूजा जहां प्रेमी का अभिनंदन है ।


कहे ,अनकहे , अथाह जज्बातों का दर्पण है ।

जो मेरा है सब तेरा भावो का ऐसा समर्पण है।



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