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Sarita Singh

Abstract

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Sarita Singh

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सहारा..... कंधा

सहारा..... कंधा

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कभी थक कर वही सो जाने के लिए 

कभी रिश्तो का भार उठाने के लिए 

जीवन के दोराहे पर सच का यकीन है कंधा


कभी प्रेमवात्सल्य का दुलार है ।

कभी किसी के जीने का आधार है

दुख के पलो वेदना साझा करने का सुकून है कंधा


कभी कभी टूटे रिश्तो को अपनाने का 

कभी किसी को दिलासा दे आगे बढ़ाने का 

अकेलेपन में किसी ख़ासअपने का यकीन है कंधा।


असफलताओं से सफलताओं तक कई शिखरों पर

चढ़ने की सीढ़ी, और वही एक कंधा संभालता कई पीढ़ी।

जिम्मेदारी और कर्तव्यों की मचान है कंधा


उंगली पकड़ चलना सिखाया ,कंधे बिठा के दुनिया दिखाया

कर्तव्यों को ढोते मिल बारी बारी बस उनका ही महान है कंधा।

कभी डोली और कभी अर्थी खुशियों की दुकान है कंधा।


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