मेरे सीने पर एक रात अपनी उँगलियों से एक बेतरतीब - सी पेंटिंग बनाई थी तुमने... मेरे सीने पर एक रात अपनी उँगलियों से एक बेतरतीब - सी पेंटिंग बनाई थी तुमने...
गंदगी से भरी जग की महफ़िल में, तूने ही प्रभु मुझे फूल सा सँवारा है। गंदगी से भरी जग की महफ़िल में, तूने ही प्रभु मुझे फूल सा सँवारा है।
मजबूरियों का जिम्मेदारियों का क्या फर्क रिश्ता ही तो है। मजबूरियों का जिम्मेदारियों का क्या फर्क रिश्ता ही तो है।
हार और जीत दिन और रात शब्द हैं, एक दूसरे के पूरक! हार और जीत दिन और रात शब्द हैं, एक दूसरे के पूरक!
इस दुुनिया के आगे हार गए थे तुम क्या तुम वही हो। इस दुुनिया के आगे हार गए थे तुम क्या तुम वही हो।
मेरा सम्मान बचा रहे, कुछ मिले भी, या नही। मेरा सम्मान बचा रहे, कुछ मिले भी, या नही।