प्रेम-वियोग
प्रेम-वियोग
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हार और जीत
दिन और रात
शब्द हैं, एक दूसरे के पूरक
दूसरे का होना,
प्रथम की आवश्यकता है!
वैसे ही जैसे
वियोग है सूचक
प्रेम की मात्रा का
मिलन की व्याकुलता का
दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे!