STORYMIRROR

Nanda Pandey

Romance

5  

Nanda Pandey

Romance

तुम आना

तुम आना

1 min
547

तुम आना,

जब वेदना मेरी 

अधरों तक आकर 

रुक जाए पर


कुछ कह न पाए

युगों युगों से

स्निग्ध उर-तल

बन जाये यमुना

तुम आना....


तुम आना,

जब मुक्त सरिताएं

मिलन को चल पड़े

यामिनी भी


चाँद से मिल कर

हँस पड़े

उमड़ पड़े सोये

भावों के नीरव निर्झर

तुम आना.....


तुम आना,

जब हर्ष-शोक के 

मझधारों में

आंसू भी सीप

बन मुस्काये


जब बादल राग 

मल्हार गाये

और पतझर में

मधुमास खिले

तुम आना.......


तुम आना,

जब मिट जाए

मध्यस्थ की

मर्याद रेखा

मृदु नेह अर्पित हो


मिलन पर

गा उठे सब तार

मन के

तुम आना....!

बेशक तुम मत आना...

बस कह देना की आऊंगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance