बगैर तेरे भी
बगैर तेरे भी


बगैर तेरे भी, तेरे साथ
रह कर देखा है मैंने,
मरते हुए भी हर पल को
जी कर देखा है मैंने,
थोड़ा पानी पीकर थोड़ा तुमने
गिलास में ही रहने दिया था ना,
हाँ उसी गिलास से वो नशा अपने
होठों पर लगा कर देखा है मैंने।
बगैर तेरे भी, तुझ संग वक़्त
बिता कर देखा है मैंने,
अपनी बेमतलब की बातों पर
तुझे खिलखिलाते देखा है मैंने,
याद तुम करती हो
मुझे किसी बात को लेकर,
और यहाँ हिचकियों से
परेशान खुद को देखा है मैंने।
तेरे बगैर भी तुझ संग
टहल कर देखा है मैंने,
हाथो में तेरे अपने हाथों में
महसूस किया है मैंने,
और अब इससे ज्यादा तो
क्या मैं बयां करूँ कि,
तलब चाय की मुझे लगी थी,
और रसोई में चाय बनाते
तुझे देखा है मैंने।