इश्क की पहचान
इश्क की पहचान
मैं रूठा हूँ अगर तुम भी रूठ गए
तो फिर दोनों में से एक दूसरे को मनाएगा कौन ?
आज दरार है दिलों में कल खाई
होगी खुद से न भरी तो फिर भरने आएगा कौन ?
मैं चुप हूँ गर तुम भी चुप हो गए
तो फिर खामोशी में दी सदा को सुन पाएगा कौन ?
हर बात को लगा लोगे अगर दिल
से तो फिर प्यार से भरे रिश्ते को निभाएगा कौन ?
दुखी हम दोनों है यूँ बिछड़ कर
अगर खड़े रहे तो सोचो फिर हाथ बढ़ाएगा कौन ?
नादां दिल किसी जिद्द पे अड़ा है
गर यूँ खड़े रहे तो कदमों से निशां मिलाएगा कौन?
कर के जिद्द गर यूँ लड़ते ही रहे
तो फिर समझदारी दिखला कर समझाएगा कौन?
ना मैं राज़ी ना तुम राज़ी तो फिर
माफ़ करने का असली बड़प्पन दिखाएगा कौन ?
डूब जाएगा यादों में दिल कभी
तो फिर अश्को के समन्दर से बाहर लाएगा कौन ?
की खता एक मैने एक तुमने गर
माँगी न माफ़ी तो गलतफ़हमी को मिटाएगा कौन ?
एक अहम् मुझमें एक तुझमें छुपा
है झुका न अगर कोई तो अहम को हराएगा कौन ?
ज़िंदगी किस को मिली है सदा के
लिए जाने किस के बाद अकेला रह जाएगा कौन ?
मूंद ली गर किसी दिन एक ने जो
आँखे तो इस बात पर दोनो मे से पछताएगा कौन ?
गर रखा ना कोई रिश्ता एक दूजे
से तो मरने के बाद मजार पर दिया जलाएगा कौन?

