बरसात
बरसात
रिमझिम प्यारी बरसात में भीग गए थे हम दोनों
एक घने जंगल में जाकर खो गए थे हम दोनों
याद आए उस पल की तो मन विभोर हो जाए
एक दूजे की बांहों में बाहें डाल बैठे थे हम दोनों
भीगे होंठ मेरे तुमने होंठों से खूब चूमे थे मितवा
इस जहां को छोड़ जन्नत घूम आए थे हम दोनों
खुशियों से हम झूम उठे थे गा रहे थे कव्वाली
बरसात में मोर संग खूब नाच रहे थे हम दोनों
तोड़कर दीवार दुनिया की हम मिले थे सावन में
तोड़ के पिंजरा एक दूजे में समा गए थे हम दोनों