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PANKAJKUMAR THOMBARE

Romance Tragedy Classics

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PANKAJKUMAR THOMBARE

Romance Tragedy Classics

धीरे धीरे

धीरे धीरे

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सनम से मिलेगी नज़र धीरे धीरे

दुवआऍं करेंगी असर धीरे धीरे

पता ना चला वक़्त आया गया भी

तिरे साथ गुज़रा सफ़र धीरे धीरे


बिना चॉंद रोशन हुआ आसमॉं क्यों

मुहब्बत हुई हैं अज़र धीरे धीरे

तुम्हे देखकर हम कहॉं खो गयें हैं

सनम ले गई हैं जिगर धीरे धीरे


कयामत कयामत हुई हैं जहाॅं में

उन्होने हिलायी कमर धीरे धीरे

बहुत देर कर दी सनम सोचने में

गया वक़्त यारा गुज़र धीरे धीरे


तुम्हें भूल जाऊॅं यही अब तमन्ना

पियें जा रहा हूॅं ज़हर धीरे धीरे

मुझे ज़िंदगी दे सॅंवरने का मौक़ा

चला जा रहा हूॅं बिखर धीरे धीरे।


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