सदियों का इंतजार
सदियों का इंतजार
यादों की घनीभूत पीड़ा,
सुधियों से था--दिल भरा
कतरा कतरा
पिघलती रही,
रात भर जली--
शमां की तरह,
कभी राधा बनी,
कभी मीरा बन,
रटती रही---
नाम तुम्हारा,
अँखिया पथरा गई
अब तो--
तकते तकते राह तुम्हारा,
निष्ठुर हो तुम--
कृष्ण के जैसे,
या
सन्यासी हो गए हो??
दुनिया के किस महासागर में,
ना जाने कहां खो गए हो??
किससे पूछूं--
पता तुम्हारा??
कोई कहां बताता है??
रात चांदनी ,फूल ,सितारे
सभी खामोश नजारे हैं,
सबके अंदर --छवि तुम्हारी,
दूर दूर ही रहते हो,
अंतहीन हो गई
प्रतीक्षा--
जीवन संध्या अब आई है,
सर्दियों के इस इंतजार पर--
मौत भी आकर हारी है,
नैनों के मुंदने से पहले,
एक बार तुम आ जाते--
सदियों के इस इंतजार पर---
पूर्ण विराम लगा जाते!!!!!!!