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Suman Sachdeva

Romance

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Suman Sachdeva

Romance

जब तुम पास नहीं होते

जब तुम पास नहीं होते

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कभी कभी 

जब तुम मेरे पास नहीं होते

तो अकेली नही होती हूं मैं


मुझसे बातें करता है 

वो कांच का गिलास 

कहता है रुको

पानी अभी थोड़ा ठंडा है


और वो चीनी का कप

मुझसे मुस्कराते हुये

कह रहा होता है

तुम चाय बहुत बढ़िया बनाती हो


और वो फूल की पत्तियां

 हथेली में आकर

 लगाती हैं गुहार कि

यह महक कभी जुदा न होने पाये


और तभी हाथ की अंगूठी

अंगुली में गोल- गोल घूमती 

करने लगती है कुछ भेदभरी बातें 

और मैं सुनती रहती हूं जड़वत


बस फिर तुम्हीं होते हो 

अगल बगल, इधर उधर

सब ओर 

हंसते, मुस्कराते, बतियाते


हां ! अकेली नहीं होती हूं मैं

जब तुम मेरे पास नहीं होते।


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