हम तुम्हारी देहरी में
हम तुम्हारी देहरी में
हम तुम्हारी देहरी में, फूल चुनकर डाल आये,
छोड़ आये उस नगर को, और अंतिम बार आये।
गीत जिनका तुम विषय थे, मिट गए वो पृष्ठ सारे
और तुम्हारी स्मृति के, धूल गए वो चित्र सारे।
एक पावस धो गयी है, अश्रु सारे, खेद सारे
त्याग सारी मोह-माया, ज्यों तथागत द्वार आये।
पत्थरों में भाव उपजे, हम निपट क्या सोचते थे,
प्रेम को अमृत मिलेगा, स्वप्न कोरे देखते थे।
इक बराहमन कह गया था, हम भी मूरत पूजते थे
आरती की थाल में सो, दान अबके डाल आये।
मौन मन शुभकामनाएं, हम तुम्हें सब सौंपते है
प्रेम की सब वर्जनाएं, हम तुम्हें सब सौंपते है।
इस तिमिर को भेद पाएँ, रश्मियाँ सब सौंपते है
और बंधन तोड़ सारे, हम भंवर के पार आये।

