क्या भूलूं -क्या याद करूं
क्या भूलूं -क्या याद करूं
क्या भूलूं- क्या याद करूं
दिल्लगी लगी तुझसे,
किससे मैं तेरी फरियाद करूं!
यादें तेरी सताती मुझे !
बिताये तेरे संग वो सतरंगी पलों को
मैं खोकर वक्त को गुजारूं !
क्या भूलूं -क्या याद करूं !
दिल तुम्हें ढूंढे हर क्षण प्रतिपल
विरह में वेदना की रोज मैं बरसात करूं!
तेरे खातिर खुद में तुझे मैं आत्मसात करूं !
क्या भूलूं क्या याद करूं !
तेरे मस्तक को सहलाते हुए,
जुल्फों को तेरी संवारते हुए
खुद को तुझमें बहलाते हुए,
तेरी मुख की आभा का दीदार करूं!
क्या भूलूं क्या याद करूं !
तेरी मधुर मुस्कान की खातिर रोज तेरी इंतजार करूं
तू मुझमें खो गई या मैं तुझमें खुद को खो दिया !
इस बात की रोज मैं इतला करूं
क्या भूलूं क्या याद करूं !
तुझ पे वार दिया तन- मन मैंने,
सुबह तुझसे ही शुरू कर हर दिन की शुरुआत करूं!
शाम की सांध्य -बेला में तेरा ही ध्यान लगाऊं ।
क्या भूलूं क्या याद करूं!!!