एक निर्दोष लड़ाई
एक निर्दोष लड़ाई
तुम्हारी लड़ाई कितना निश्चल होता है ना !
तुम्हारी लड़ाई में सब कुछ होता है,
तुम्हारी लड़ाई में क्रोध का अतिरेक नहीं होता
तुम्हारी लड़ाई में तर्क भी होता है, वेदना भी होती है और उलाहना भी!
यही कारण है
की हर बार मैं तुम्हारी लड़ाई में पराजित होना ही स्वीकार करता हूं,
क्यूंकि इसके सिवा मेरे पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है!
तुम्हारी लड़ाई उस छोटे बच्चे की तरह है जो रूठने या लड़ाई-झगड़ा करने पर जितना संभव होता है
हाथ- पैर मारता है,
लेकिन थक हार कर अपने सजल नेत्रों के स्नेह रूपी समंदर से कुछ बुंदे टपकाते हुए फिर गोद में आ जाता है ! मेरी हार्दिक कामना है कि सृष्टि के हर जोड़े में यह निर्दोष लड़ाई बची रहे।