बिछड़ रही है
बिछड़ रही है
कभी सर्दी में सूरज की तरह आई थी तू ,
अब ज्वालामुखी की तरह तड़पती गर्मी में छोड़कर नई दुनिया बसाने जा रही है तू,
और मैं कहीं अकेले तेरी यादों की तकिए को जकड़ कर सोने जा रहा हूं,
तू तो ऐसी हो बस हालत में आना है, तुझे पाना सिर्फ एक सपना मैंने माना है।
हो सके तो फिर एक हसीन और सुकून की शाम दे मुझे,
तो थोड़ा और समय जुड़ जाऊंगा ख्वाबों तुझसे।
वह भी क्या दिन थे हर रोज पहली सुबह तेरी मैसेज देख मन ही मन मुस्कुराने वाला,
अभी सवेरे सवेरे पहले अधूरी बातें वाली हर मैसेज तो डिलीट करता हूं मैं।
मुझे प्यार था इसलिए तू भुलाई ना कभी,
मगर तुझे तो बस जरूरत है मेरा जो पूरा कर रहा है कोई और अभी।
भूल गया था मैं कब से तेरा नाम क्योंकि पहले जोड़ लिया था मैंने तेरा और मेरा नाम, अभी फिर याद करवा दी तूने मुझे अपना नाम जब जाना किसी और से जुड़ने वाली है अब तेरा नाम,
इसलिए वापस ले रहा हूं मेरा नाम और तुझे दे रहा हूं फिर से तेरा नाम।