यादें
यादें
तुम् आई एक् अप्रत्याशित ब्यक्ति के रूप मे मेरे जीवन मे,
लेकिन धीरे धीरे बस गयें एक बहुत ही महत्वपूर्ण किस्सों मे.
याद है मुझे वो समुन्दर की लहरे,
जहां लिखी थी तुम कुछ अनोखी लेख् अपनी हाथों से,
मिट् गयी वो हाथों से लिखी हुई लेख् वो ही समुन्दर के लहेरो से
शायद तुम भी बह गयी अब उसी लहेरो मे, किसी ओर के बाहों मे.
रास्ते मे चलते हुआ, तेरी होठों की वो मुस्कान साफ़ दिखती थी मुझे गाड़ी की शीशे से,
अभी दिखती है सर्फ गाडियां उसी शीशों से.
मुझे पसंद नहीं उनकों देखना, पर् तुम दीखने लगेगी अब ओर किसी गाड़ी के शीशों मे.
शायद तू जानती नहीं बातें बनाना, बातें कभी बना भी लिए अपनी झुठी मुस्कान से, तो हमें सच्चाई पत्ता हो जाता है तुम्हारी दिल के सन्देशों से.
जानना चाहता हूं तेरे दिल की सच्चाई मगर ये तेरी दिल की संदेशों से नहीं, कभी फुर्सत मिले तो तु दिखा दे अपनी झूठी मुस्कान कल् पे ही सही.
झील की तरह वो बहाती रही ओर मैं बहता रहा, आधी रात को मेरे सीने मे लीपट कर सोती रही ओर मैं उसे सुलाता रहा, मगर कोई नहीं है अब सोने ओर सुलाने वाला, आखिर तुम और किसी के बाहों मे सोने लगी, और मैं किसी और को सुलटा रहा....

