बिखरें हुए शब्दों और लफ़्ज़ों को चुन उन्हें धागों में पिरोकर कभी माला बनाती हुँ तो कभी गजरा... शब्दों से फ़िजा गुनगुनाती है तो लफ़्ज़ों से वह महकने लगती है...
उन मुक बधिर महिलाओं के घर वालों को व्यवहार का तकाजा मालूम था। उन मुक बधिर महिलाओं के घर वालों को व्यवहार का तकाजा मालूम था।
घर मे आनेवाले हर मेहमान का मुस्कुराते हुए स्वागत भी वह करती है। घर मे आनेवाले हर मेहमान का मुस्कुराते हुए स्वागत भी वह करती है।
कुछ लोग कह सकते है कि औरतें किसी भी टॉपिक पर बोल सकती है. कुछ लोग कह सकते है कि औरतें किसी भी टॉपिक पर बोल सकती है.
एक इंस्टिट्यूट के तौर पर मुझे वहाँ जॉइन करना अपने आप मे ही प्राउड फील हो रहा था। एक इंस्टिट्यूट के तौर पर मुझे वहाँ जॉइन करना अपने आप मे ही प्राउड फील हो रहा था।
आज इतने सालों के बाद आज यह सब पढ़ते हुए मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ जा रही है... आज इतने सालों के बाद आज यह सब पढ़ते हुए मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ जा रही है...
देखियेगा, सामनेवाला कुछ न कुछ जरूर रिस्पॉन्ड करेगा। बस फिर क्या? देखियेगा, सामनेवाला कुछ न कुछ जरूर रिस्पॉन्ड करेगा। बस फिर क्या?
अब वक़्त बदल गया है...प्रेम अब अनादि और अनंत नही रहा है. अब वक़्त बदल गया है...प्रेम अब अनादि और अनंत नही रहा है.
कुछ दिनों में नंदिनी का सुमीत के यहाँ आना जाना बढ़ने लगा। शायद उनका प्यार था कुछ दिनों में नंदिनी का सुमीत के यहाँ आना जाना बढ़ने लगा। शायद उनका प्यार था
पेन फ्रेंड का पहला लेटर... उस लेटर को पढ़ने की इच्छा बढ़ती ही जा रही थी। पेन फ्रेंड का पहला लेटर... उस लेटर को पढ़ने की इच्छा बढ़ती ही जा रही थी।
मन ही मन जैसे वह चीख चीख कर कह रही थी... हाँ, लोगों के सामने वह ज़रूर मुस्कुरा रही थी... मन ही मन जैसे वह चीख चीख कर कह रही थी... हाँ, लोगों के सामने वह ज़रूर मुस्कुरा रह...