बिखरें हुए शब्दों और लफ़्ज़ों को चुन उन्हें धागों में पिरोकर कभी माला बनाती हुँ तो कभी गजरा... शब्दों से फ़िजा गुनगुनाती है तो लफ़्ज़ों से वह महकने लगती है...
वैसे ही यह मसला सुलझने के बाद ऑफिस का माहौल भी ख़ुशनुमा हो जाएगा… वैसे ही यह मसला सुलझने के बाद ऑफिस का माहौल भी ख़ुशनुमा हो जाएगा…
कितनी सारी बातें है जिसे उसने बस छिपाया ही है. कितनी सारी बातें है जिसे उसने बस छिपाया ही है.
फिर बताइये, मन की बाते किससे करे? अपने आस पास निगाहें डालकर देखिये शायद आप की भी यही कुछ फिर बताइये, मन की बाते किससे करे? अपने आस पास निगाहें डालकर देखिये शायद आप की भी...
आज तुम यही रुक जाओ... कल छुट्टी है. आज तुम यही रुक जाओ... कल छुट्टी है.
धर्म और जाति के फेर में ना पड़कर वह अपना सर्किल मैंटेन करती है धर्म और जाति के फेर में ना पड़कर वह अपना सर्किल मैंटेन करती है
उसने कहा, “देखो, दुनिया गोल है..” हाँ, वह झट से बोल पड़ी, “और छोटी भी...” उसने कहा, “देखो, दुनिया गोल है..” हाँ, वह झट से बोल पड़ी, “और छोटी भी...”
गुलमोहर तो गुलमोहर है… अपने सुर्ख़ लाल फूलों से वह सूरज को चैलेंज करता है। गुलमोहर तो गुलमोहर है… अपने सुर्ख़ लाल फूलों से वह सूरज को चैलेंज करता है।
किताबों की यह दुनिया उन लड़कियों को सवाल करना सिखाती है किताबों की यह दुनिया उन लड़कियों को सवाल करना सिखाती है
पानी पर लिखे नाम की वह इबारत लहर आने से पहले ही मिटती जा रही थी... पानी पर लिखे नाम की वह इबारत लहर आने से पहले ही मिटती जा रही थी...
हर साल गर्मियों के कपड़े सहेज सर्दियों के कपड़े निकालने वाली. हर साल गर्मियों के कपड़े सहेज सर्दियों के कपड़े निकालने वाली.