बिखरें हुए शब्दों और लफ़्ज़ों को चुन उन्हें धागों में पिरोकर कभी माला बनाती हुँ तो कभी गजरा... शब्दों से फ़िजा गुनगुनाती है तो लफ़्ज़ों से वह महकने लगती है...
क्या यह महिलायें धारा के विपरीत बहने का साहस नहीं रखती क्या यह महिलायें धारा के विपरीत बहने का साहस नहीं रखती
फिर वही कुछ आधी अधूरी बात करके फिर विषय बदल रहे थे फिर वही कुछ आधी अधूरी बात करके फिर विषय बदल रहे थे
मैं आज ऑफिस की एक इंटरनल मीटिंग में जा रही थी। मैं आज ऑफिस की एक इंटरनल मीटिंग में जा रही थी।
आय नो… टेक योर टाइम… ओके… कभी मिलकर बात करते है… आय नो… टेक योर टाइम… ओके… कभी मिलकर बात करते है…
नये ज़माने की लड़कियाँ कितने कॉन्फिडेंस से अपनी प्रॉब्लम को सॉल्व करती हैं। नये ज़माने की लड़कियाँ कितने कॉन्फिडेंस से अपनी प्रॉब्लम को सॉल्व करती हैं।
वह तुम ही थे…जो मेरे सबकॉन्शियस माइंड में थे… वह तुम ही थे…जो मेरे सबकॉन्शियस माइंड में थे…
नहीं, नहीं…यहाँ तन से ज्यादा मन ठिठक गया है.... नहीं, नहीं…यहाँ तन से ज्यादा मन ठिठक गया है....
और गॉगल उठाकर बैग कंधे में टाँग कर ऊँची एड़ियों वाली सैंडिल में ठक ठक कर गाड़ी में बैठ और गॉगल उठाकर बैग कंधे में टाँग कर ऊँची एड़ियों वाली सैंडिल में ठक ठक कर गाड़ी म...
क्या वक़्त के साथ संबंधों में दूरियाँ आने लगती है? या फिर बातें ही ख़त्म हो जाती है ? क्या वक़्त के साथ संबंधों में दूरियाँ आने लगती है? या फिर बातें ही ख़त्म हो जाती...