फिर भी माँ, तुम सा मैं, आँचल ना पाऊँ....। फिर भी माँ, तुम सा मैं, आँचल ना पाऊँ....।
मैं मूल हूँ सृष्टि करने की शक्ति रखता हूँ। मैं मूल हूँ सृष्टि करने की शक्ति रखता हूँ।
कभी कभी बाप का शासन दिखाती हूं। कभी कभी बाप का शासन दिखाती हूं।
उम्मीद दम तोड़ते लगी अब तो आओ , धड़कने लड़खड़ाने लगी और न सताओ। उम्मीद दम तोड़ते लगी अब तो आओ , धड़कने लड़खड़ाने लगी और न सताओ।
लिखकर रखना चाहती हूँ सबसे छुपा कर नहीं चाहती कोई परीक्षा लिखकर रखना चाहती हूँ सबसे छुपा कर नहीं चाहती कोई परीक्षा
जिंदगी में कुछ करोगे तभी कुछ बनोगे कुछ ना कुछ करना जरूरी चाहिए। जिंदगी में कुछ करोगे तभी कुछ बनोगे कुछ ना कुछ करना जरूरी चाहिए।