इश्क़ है !
इश्क़ है !
इश्क़ है;
जागते-जागते खोये रहना और,
सोते-सोते जागते रहना !
और मोहब्बत है
सोते हुए की नींदों में भी,
अपनी मौजूदगी दर्ज़ करवाकर
उसे होश में ला देना !
इश्क़ है;
सब-कुछ अपना होकर भी,
उन सभी पर
अपना अधिकार खो देना !
और मोहब्बत है
सब -कुछ पराया होने के बाद भी,
उसे अपना बनाकर
उसी पराये का विस्तार करते रहना !
इश्क़ है
जिसने हर बार तुम्हारे
भरोसे को तोड़ा हो
उसी की आँखों में
एक अश्क़ की बून्द देखकर,
उसी पर एक बार फिर से
वही भरोसा करना !
और मोहब्बत है;
उसी टूटे हुए भरोसे को फिर से;
एक अच्छे जुलाहे की तरह
बुनना जिसे देख कर
गांठ लगी होने का अंदाज़ा भी
नहीं लगाया जा सके !
इश्क़ है
बंद आँखों से अपनी प्रियतमा से
ठीक वैसे ही बात करना
जैसे वो अभी-अभी उसके सामने
आकर बैठी हो !
और मोहब्बत है
दूर बैठे अपने आशिक़ को
ये एहसास भी ना
होने देना
कि विरह की उसी वेदना में
वो भी जल रही है !
इश्क़ है
सिलवटों से भरे बिस्तरों में,
अपनी प्रेयषी की खुशबू को ढूँढना !
मोहब्बत है
उन्हीं सिलवटों में अपने जिस्म
की बेकरारियाँ छोड़ जाना !
इश्क़ है
पल-पल टूटकर
टूटे हुए खुद को
खुद-ब-खुद जोड़ना !
मोहब्बत है
टूट-टूट कर जुड़े उस स्थूल को
अपने स्पर्श से
साबित कर उसी से
शीला भेदन करवा लेना !
इश्क़ है
खुद को पल-पल
नरक में झोंक कर
आने वाले पल में
स्वर्ग की कामना रखना !
मोहब्बत है
स्वर्ग और नरक की परिभाषा को
ताक पर रख कर
मरते दम तक चाहते रहने की
प्यास जगा देना !
इश्क़ है
दो और दो चार आँखों से
देखा गया सिर्फ एक सपना !
मोहब्बत है
उस एक अजनबी के
सपने को साकार करने के लिए
दुनिया की सारी दहलीज़ों को लाँघ आना !