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Anita Chandrakar

Abstract

4.5  

Anita Chandrakar

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प्रेम की रीत

प्रेम की रीत

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 एहसास गणित के सूत्र नहीं, ये तो होते अपरिमित।

सीमाओं में बंधकर रह न पाया, अद्भुत प्रेम की रीत।


जो उलझे रहे भाग गुणन में, उसने खोई ख़ुशियाँ।

जीवन का आनंद उसी ने पाया, जिसको मिला मनमीत।


एहसास के मोती अनमोल होते, रखना इसे सम्हाल के।

बजती स्वर लहरियाँ हवाओं में, घुल जाता संगीत।


सूत्र सुलझाते कई सवाल, पर भाव इनसे कोसों दूर।

प्रेम की भाषा सबसे मीठी, जीने की कला सिखाती प्रीत।


एहसासों की डोरी में बँधकर, रिश्ते सदा महकते है।

अहम भाव को त्यागकर, जीवन में रहें विनीत।



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