गुरु
गुरु
गुरु ब्रम्हा, गुरु विष्णु, गुरु ही है महेश्वर।
गुरु दिव्य प्रकाश पुंज, गुरु ज्ञान के सागर।
गुरु पथ प्रदर्शक शिष्यों के, गुरु सच्चे सलाहकार।
कभी डाँट कर राह दिखाते, कभी देते स्नेह अपार।
गढ़ते मन से सुंदर आकर, गुरु होते शिल्पकार।
गीली माटी से घड़े बनाता, जैसे कोई कुम्भकार।
गुरु ज्ञान की मूरत होते, गुरु का धर्म परोपकार।
शत शत नमन गुरु को, गुरु होते हैं तारणहार।
