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Anita Chandrakar

Inspirational

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Anita Chandrakar

Inspirational

दिव्यांग

दिव्यांग

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नन्ही सी मुनिया चुपचाप बैठे बैठे।

देख रही है दौड़ते भागते बच्चों को।

मन करता है खेले कूदे दौड़े भागे।

पर ये नहीं था आसान।


काम नहीं करते हैं दोनों पाँव।

अपने पैरों पर चलना तो बस सपना है।

काश वो भी दौड़ती भागती तितलियों की तरह।

उसे यूँ ही चुपचाप बैठे रहना है।


आई उसकी एक सहेली,

दर्द मुनिया का महसूस कर।

कहने लगी चलो चित्र बनाये

पेंट ब्रश सामने रख कर।


मुनिया थोड़ी मुस्काई और

लग गई चित्र बनाने।

रास्ता उसने ढूंढ लिया

अपना दर्द भुलाने।


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