स्वर्ग से बढ़कर
स्वर्ग से बढ़कर
जहाँ की मिट्टी चन्दन जैसी, जल गंगा का पावन है।
स्वर्ग से बढ़कर देश मेरा, कण कण इसका वृंदावन है।
खुशबू हवा में वतन प्रेम की, दिल में बसा हिंदुस्तान है।
गूँज रहा अब चहुँ दिशा में, जन गण मन राष्ट्रगान है।
नील गगन में लहराता तिरंगा, मेरा भारत महान है।
विश्वगुरु कहलाता सदियों से, जन जन को अभिमान है।
जलती होलिका होली में, दशहरा में जलता रावण है।
स्वर्ग से बढ़कर देश मेरा, कण कण इसका वृंदावन है।
