मृत्यु से जीवन की ओर
मृत्यु से जीवन की ओर


दिन आज का बेजान बड़ा, अनजान सा मालुम होता है ।
जीवन है छोटा, संकट गहरे, मन बादल सा रोता है ।
कभी बैठकर सोचता हूं, जन्म मेरे का कारण क्या ।
विचार अनचाहे मन मेरा, अनायास ही सांसों में पिरोता है ।
..चलो आज एक बात बताता हूं
मुसीबतें अपार, संघर्षों से हार, थक कर बैठ गया हूं जैसे ।
मृतक सा शरीर, ना जीने की चाह, उंठू मैं दोबारा कैसे ।
मतलब की दुनिया, स्वार्थ भरपूर, वाकिफ हैं सिर्फ पैसों से ।
बेरंग ये दिन, दुखो से विहीन , बताओ कौन जिएगा ऐसे ।
..चलो आज एक बात बताता हूं
कल की एक बात सुनाता हूं, झूठ से पर्दा उठाता हूं ।
उठा सुबह एक भर्म में, सपना लिए मर्म में, बड़ा इतराता हूं
है ना लक्ष्य कोई जीवन में कही, ना जाने क्यों इठलाता हूं ।
मन में तृप्ति कभी ना हुई, फिर भी मरने से घबराता हूं।
..चलो आज एक बात बताता हूं
है चक्रव्यूह यह फसाने का, भर्मित मन को यूं ही बहलाने का ।
जो रूठ के बैठे हैं बेवजह , उनको मनाने का, उनको हंसाने का ।
क्या साथ लेकर आए थे हम ...जो साथ लेके जाएंगे।
सहसा ही आए थे यहां और एकाएक मिट जाएंगे ।
..चलो आज एक बात बताता हूं
तुम जी भर के जिओ, संग में हर दुख दर्द सहो ।
ना कभी मै दिल से जिया, ना मुझे मरने का अब गिला ।
मिलेंगे कभी उस पार , तो बैठेंगे और करेंगे हर हिसाब ।
क्या पाया तूने रहके यहां, क्या खोया मैंने जाकर वहां ।
.. चलो आज एक बात बताता हूं
मिथ्या है तेरे रिश्ते जहां के, ना उनके मोह में बह जाना
होके विवश आखिर में फिर तुम, खुद को चाहोगे बचाना ।
ना मोल कोई तेरे इस जीवन का, क्यूं व्यर्थ ही क्षण गवाना।
अत: तुम्हे मै देता हूं, जीने का एक बहाना ।
.. चलो आज एक बात बताता हूं
ना फिक्र करो किसी भूख की, ना तरसो धन-धान को ।
मार लो अपनी इच्छाएं सारी, काम क्रोध और नाम को ।
हो जाओ तुम शून्य, शिथिल और विलीन प्रभु श्रीराम को ।
फिर आएंगे स्वयं हरि एक दिन, लेने तुझे परम धाम को ।
..चलो आज एक बात बताता हूं ।
... तुम्हे जीने की राह दिखाता हूं ।।