The Last Call
The Last Call
रक्त बहा था धमनियों का, तुम उसको भूल ना जाना कभी
कर्ज चुकाना बाकी है, तुम थक कर बैठ ना जाना अभी
है गरम शिराएं, फड़कती भुजाएं, तुम कर्मवीर सा रूप सजो
इस मिट्टी की खातिर अब तुम अपना सर्वस्व बलिदान करो..
आजादी तो मिल गई थी एक बार, लेकिन आज भी थोड़ी बाकी है।
अज्ञान और अंधकार की घर से, आज भी विदाई बाकी है
तुम बुद्धिमान हो, बलशाली हो, चाणक्य सा चतुर बनो
आज समय की मांग यही है, अपना सर्वस्व बलिदान करो
गांधी, सुभाष, नेहरू, सरदार और भगत सिंह को आदर्श चुनो
आज के युवा नींद से जागो, उठो और बस कर्म करो
हो सूर्य जैसा तेज चेहरे पर और चन्द्रमा सा शीतल बनो
इस मिट्टी की खातिर अब तुम, अपना सर्वस्व बलिदान करो।
महिलाएं भागीदार हो समाज में, उनको समान अधिकार मिले
जातिवाद का नाश हो देश से, लोगों में आपसी व्यवहार बढ़े
बुजुर्गो का आदर हो घर में, बच्चों को सुसंस्कार मिले...
आओ मिलकर आज हम सब एक आदर्श भारत का निर्माण करे।
तुम हाथ मिलाकर एक दूसरे से अब जिम्मेवार इंसान बनो..
आओ, इस मिट्टी की खातिर हम सब, अपना सर्वस्व बलिदान करे।