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Parul Chaturvedi

Inspirational

0.6  

Parul Chaturvedi

Inspirational

' ताज के आम हीरो ' (Based on the events of 26/11)

' ताज के आम हीरो ' (Based on the events of 26/11)

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वो दिन था आम, लोग भी आम

पर ख़ास कुछ होने वाला था

अद्भुत थे वो ताज के हीरो

जिन्होंने इतिहास नया रच डाला था

 

वे व्यस्त थे अपने कामों में

अंजान क्या होने वाला था

उस रात ताज की दीवारों पर

स्वर्णिम अक्षर में, नाम उनका गुदने वाला था

 

घुस आऐ थे आतंकी कुछ

ताज को रौंदने का इरादा था

बंदूकों की आवाज़ों से

गूँजा तब होटल सारा था

 

जान बचा के भाग जाने के

हर रस्ते का उन्हें अंदाज़ा था

पर डटे रहे वो ६०० के ६००

सबको अपना फ़र्ज़ जो निभाना था

 

मेहमानों की सेवा को रहे वो तत्पर

धैर्य और साहस अद्भुत दर्शाया था

उनके आगे अपना सीना रख

हर एक, गोली खाने को आया था

 

सेना को तो मिलता है प्रशिक्षण

इनको किसने सिखलाया था ?

ख़ुद से पहले ख़्याल अतिथि का

इनको कहाँ से आया था ?

 

उम्र ही क्या थी उसकी जो

पढ़ लिख कर अभी तो आया था

पर बड़े बड़ों से बेहतर उसने

रण कौशल दिखलाया था

 

मैनेजर के भी बीवी बच्चों को 

आतंकी ने मार गिराया था

फिर भी ७२ घंटों तक उसने

सेनापति का फ़र्ज़ निभाया था

 

धूँ-धूँ कर जलने लगा था ताज

धुँआ जो अब भर आया था

एक-एक को बाहर निकालने का

बीड़ा अब उन सबने उठाया था

 

उस समय भी उन वीरों ने

जौहर वो दिखालाया था

हाथ पकड़ के इक दूजे का, ख़ुद को

अतिथियों का रक्षा कवच बनाया था

 

अफ़सोस  कि उस आतंकी को

नज़र जो ये सब आया था

ख़ायीं गोलियाँ उन्होंने ख़ुद पर

पर सबको बाहर पहुँचाया था

 

ये कैसा जज़्बा था उनका

जो किसी ने पहले ना दिखलाया था

इन आम कर्मचारियों को देख उस दिन

पूरा विश्व अचंभे में आया था

 

सेना के आने से पहले

देश की आन को इन्होंने सम्भाला था

ताज थे वो या उनसे था ताज

पर ताज का तत्व इन्होंने निखारा था

 

अब इसे ताज का गौरव समझो या

भारतीयता का अंश कुछ आया था

' अतिथि देवो भव : ' का अर्थ उन्होंने

सत्यार्थ कर दिखालाया था !!

 


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